समकालीन क्षणिका खण्ड-01 अप्रैल 2016
रविवार : 01.01.2017
क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित डॉ. जयसिंह अलवरी जी की क्षणिकाएँ।
जयसिंह अलवरी
हमने/और तुमने
ये कैसे
घर बनाये हैं
इनमें
न खिड़की
न रोशनदान
न झरोखे हैं।
दिल का हाल
जब भी तुम्हें
हाथ कांपते
और/आँखें होती हैं नम।
दिन बचपन के
याद अब भी/बहुत आते हैं
ये खिसकते पल
बहुत कुछ/कहे जाते हैं।
- दिल्ली स्वीट, सिरुगुप्पा-583121, जिला बल्लारी (कर्नाटक)/मोबा. 09886536450
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