Sunday, January 1, 2017

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-32

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016



रविवार  :  01.01.2017 

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित डॉ. जयसिंह अलवरी जी की क्षणिकाएँ। 



जयसिंह अलवरी





01. बिन सोचे

हमने/और तुमने

ये कैसे 

घर बनाये हैं
इनमें 
न खिड़की
न रोशनदान
न झरोखे हैं।

02. जाने क्यों
दिल का हाल
जब भी तुम्हें
छाया चित्र : उमेश महादोषी 
लिखते हैं हम
हाथ कांपते
और/आँखें होती हैं नम।

03. जाते पल
दिन बचपन के
याद अब भी/बहुत आते हैं
ये खिसकते पल
बहुत कुछ/कहे जाते हैं।
  • दिल्ली स्वीट, सिरुगुप्पा-583121, जिला बल्लारी (कर्नाटक)/मोबा. 09886536450

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