समकालीन क्षणिका खण्ड-01 अप्रैल 2016
रविवार : 01.01.2017
क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित श्रीमती शोभा रस्तोगी ‘शोभा’ जी की क्षणिकाएँ।
शोभा रस्तोगी ‘शोभा’
01. तुम...
पाँवों में मौजूद
कंटकों के निशान
देखती हूँ जब
सफ़लता के पैमाने में
तुहारा लहूलुहान अस्तित्व
बन जाता है आसमां
छोटे पड़ जाते हैं
शिखर मेरी जीत के
हम तुम/दो किनारे
चलते हैं साथ-साथ
मिलते नहीं कभी
तुम्हारा यूं चलना भी
भर देता है मुझे/नदी सा
और मैं बहने लगती हूँ
अशेष बूँद
तुझसे मिलना
फ़िर बिछड़ना
बेजार होना
और फ़िर हंस पड़ना
काफ़ी नहीं क्या
निशानी प्रेम की
- आर जेड डब्ल्यू-208-बी, डी.डी.ए. पार्क रोड, राजनगर-2, पालम कालोनी, नई दिल्ली-77/मोबा. 09650267277
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