Sunday, January 15, 2017

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-36

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016


रविवार  :  15.01.2017 


क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित श्री मुकुट सक्सेना जी की क्षणिकाएँ।  



मुकुट सक्सेना





01.
कभी-कभी
भूली बिसरी यादें
संवेदन में ऐसे
आती हैं उतर
जैसे उभर आयें
गीले काग़ज़ पर
कार्बन-पेंसिल से 
लिखे हुए अक्षर।

02.
सूखे कुछ पत्ते
हवा में उड़कर
बह चले
जल प्रवाह गौण हुआ
रेखाचित्र  : राजेन्द्र परदेसी 

लगा
पत्ते ही गतिशील हैं!

03.
अनगिनत सुधियाँ
एकत्र हो गई हैं
दवा की खाली
सुन्दर सी शीशियाँ
जिन्हें रखने का/कुछ अर्थ नहीं
पर फेंका भी नहीं जा पाता!


  • 5-ग 17, जवाहर नगर, जयपुर-302004 (राज.)/मोबा. 09828089417

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