Sunday, January 15, 2017

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-37

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016


रविवार  : 15.01.2017 

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में श्री कन्हैया लाल गुप्त ‘सलिल’ जी प्रकाशित की क्षणिकाएँ।  


कन्हैयालाल गुप्त ‘सलिल’






01. 
सर्प के किसी भी अंग पर
भूल से भी एड़ी पड़ते ही
वह फनफना उठता है 
इसलिए मित्र!
जीना चाहते हो, तो
जूता 
हाथ में लेकर चलो!


रेखाचित्र  : रमेश गौतम 

02. 
इस खौफनाक जंगल में-
हम सभी/मौत के आगोश में
बेशर्मी के साथ जिन्दा हैं
क्योंकि-
हम ही मौत को बो रहे हैं
हम ही मौत को ढो रहे हैं
फिर भी-
न सोचते हैं/न शर्मिन्दा हैं।


  • 29-ए/2, कर्मचारीनगर, पी.ए.सी. मेन रोड, कानपुर-7, उ.प्र./मोबा. 09307455504

No comments:

Post a Comment