Sunday, August 6, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-20

समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  06.08.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल श्री सिद्धेश्वर जी की क्षणिका।


सिद्धेश्वर



01. जिन्दा तस्वीर
मर्दानगी की हद हो गई!
हजार फीट गहरी खाई में
गिरने का भय था 
उसके चेहरे पर
और तुम्हारे चेहरे पर
खुशियाँ थीं-
एक जानदार फोटो खींचने की!

02. तालाब
नहीं मिल सकी
रेखाचित्र : सिद्धेश्वर 

बहती हुई नदी!
सड़ती रही/बंद तालाब में!
चाँद को छू लिया
मगर ख्वाब में!

03. कर्मभूमि
उत्साह और हर्ष
नहीं जाग उठेगा
पश्चाताप करने से
उम्मीदों का बीज रोपना होगा
वर्तमान की कर्मभूमि पर!

  • अवसर प्रकाशन, पो. बा. नं. 205, करबिगहिया, पटना-800001, बिहार/मो. 09234760365

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