Sunday, August 13, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-22

समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  13.08.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल सुश्री सुमन शेखर जी की क्षणिका। 


सुमन शेखर




01.
अचानक पलकें भीगीं
साँस हुई भारी
गुजरी माँ याद आई।

02.
धीमे-धीमे/गायब हुए
गाँव से
खेत और चरागाह
अब/वहाँ भी देखो
कंक्रीट के जंगल हैं।

03.
घूमती-उड़ती तितली
सूर्यमुखी पर/बैठ गयी
चुपचाप रस पी गई।
रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 

04.
सब कुछ
सुन्दर होता
तब भी/कविता न बनती
कविता तो जन्म लेती है/तब
जब असुन्दर से भिड़ंत होती है।

05.
तुम चुप/मैं चुप
हवा गुमसुम
आँखें बोल रही हैं
मन के भेद खोल रही हैं।

  •  नजदीक पेट्रोल पम्प, ठाकुरद्वारा, पालमपुर-176102, जिला कांगड़ा (हि.प्र.)/मो. 09418239187

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