Sunday, August 6, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-21

समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  06.08.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल श्री चक्रधर शुक्ल जी की क्षणिका। 


चक्रधर शुक्ल




01. अन्तर्जाल
भावी पीढ़ी
अन्तर्जाल में 
हल खोज रही है
जिंदगी यहाँ है 
वह उसे कहाँ ढूँढ़ रही है!

02. फेरी वाला 
फेरी वाला 
आवाज लगाये,
मोल-तोल करते-करते
वो थक जाये!

03. डर
डर
उसको खा गया,
देह का बलशाली
रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 
सजा पा गया।

04.
देह
लकड़ी से जल जाएगी
यह जानते हुए 
आदमी इतराता,
काम, क्रोध, मद, लोभ को
गले लगाता!

05. ऐसे में
सूरज 
ऐसे में
आग का गोला 
क्यों नहीं बन जाता
कोहरा डर जाता।

  • एल.आई.जी.-1, सिंगल स्टोरी, बर्रा-6, कानपुर-208027, उ.प्र/मो. 09455511337

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