Sunday, July 30, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-18

समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  30.07.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल सु-श्री शिखा वार्ष्णेय जी की क्षणिका।


शिखा वार्ष्णेय




01.
हर एक के बस का नहीं
सच का हलाहल पीना,
जलधि सा धीर
और शिव सा कंठ चाहिए।

02.
उसने हर दिन एक ख्वाइश चुनी
और हर दिन पूरी कर ली
हम उनका पुलिन्दा बाँधे
सम्भालते रह गए।

03.

छाया चित्र : उमेश महादोषी 
उसे हिदायत थी
भीड़ भरी सड़क पर मत जाना
तब से वो
अपने नाम की एक पगडंडी ढूँढती है।

04.
चलो कुरेदें दिनभर की बुआई
लें अँगडाई
लपेटें शाम को रात की रजाई में
ढक के आत्मा को मुँह तलक
चलो फिर आँख मींच कर सो जाएँ।

  • 64, Wensleydale Avenue, Ilford& IG5 0NB, London (UK)/ईमेल : shikha.v20@gmail.com 

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