Sunday, October 29, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-42

समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  29.10.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल सुश्री अनिता मण्डा जी की क्षणिकाएँ। 



अनिता मण्डा





01.
नदियों ने बड़ा धोखा दिया
रख लिए मेरे सारे सिक्के,
जो आँखें बंद कर
मन में मुराद माँग
फेंके थे मैंने!!

02.
नदी का सूखना अपशकुन है,
रेखाचित्र : बी. मोहन नेगी    
धर्म, शकुन, अपशकुन
कुछ मत मानो चाहे
पर इतिहास गवाह है
जब-जब सूखी हैं नदियाँ
समा गई भूमि में
कई सभ्यताएँ!!

03.
वो सितारे 
खुद ही टूट रहे थे
वो मेरी मन्नत कहाँ से 
पूरी करते!!


  • आई-137, द्वितीय तल, कीर्ति नगर, दिल्ली-110015/फोन 08285851482

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