Sunday, October 1, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-34

समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  01.10.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल श्री ललित कुमार मिश्र ‘सोनीललित’ जी की क्षणिका।


ललित कुमार मिश्र ‘सोनीललित’




01. व्यवस्था
मल निकासी को 
सीवर और नालियाँ
और अन्तर्मल हेतु 
अनगिनत बस्तियाँ

02. चरित्र
चरित्र केवल
स्त्रियों का होता है
इसलिए
चरित्रहीन भी
स्त्रियाँ ही होती हैं

03. चक्रव्यूह
तुम देह का चक्रव्यूह 
छाया चित्र :  उमेश महादोषी
रचती रही ताउम्र
अब शिकायत है कि 
कोई तुम तक नहीं पहुँचा

04. अहिल्या
अहिल्याएँ
आज भी
अपने भीतर के
पौरुष को
जगाने की बजाय
राम का इंतज़ार करना
बेहतर समझती हैं।

05. सफर
तुम खुद ही बँध गए थे 
मंज़िलों में
वरना सफर तो 
उसके आगे भी बहुत था
  • 78 ए, अजय पार्क, गली नंबर 7, नया बाजार, नजफगढ़, नई दिल्ली-43/मो. 09868429241 

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