Saturday, November 19, 2016

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-23

 समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016



रविवार  :  20.11.2016
(अपरिहार्य कारणों से यह पोस्ट 13.11.2016 को प्रकाशित नहीं हो पाई थी।)

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित श्री प्रशान्त उपाध्याय जी की क्षणिकाएँ।



प्रशान्त उपाध्याय




01. क्षणिका
मेरी मरुथली पीठ पर
तुम्हारा नेह भरा हाथ
जैसे/एक क़लम
किसी कागज पर
लिख रही हो क्षणिका!

02. प्यार
हमारा तुम्हारा प्यार
एक नदी की तरह है
इसे सागर न बनाओ
वरना
ये खारा हो जायेगा।

03. भूल
ज़िन्दगी की
जानी-अनजानी भूल
रेखाचित्र : नरेश उदास 
तय करती है
अपयश के काँटे 
या/यश के फूल!

04. खिड़कियाँ
सोचता हूँ
अपनी इच्छाओं के घर में
झूठ की खिड़कियाँ लगा दूँ
सच के दरवाजे
बहुत देर से खुलते हैं!

05. ऋतुएँ
सफलता और असफलता तो
जीवन की ऋतुएँ हैं
तुम/अपनी इच्छाओं को
कभी वनवास मत देना।

  • 364, शम्भूनगर, शिकोहाबाद-205135, उ.प्र./मोबा. 09897335385

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