Saturday, November 19, 2016

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-22

 समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016



रविवार  :  20.11.2016
(अपरिहार्य कारणों से यह पोस्ट 06.11.2016 को प्रकाशित नहीं हो पाई थी।)

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित श्री  नित्यानंद गायेन  जी की क्षणिकाएँ।



नित्यानंद गायेन 



01. तुम्हारा कवि
हर रात सुनता हूँ
किसी की सिसकियाँ
खोजता हूँ उसे 
दीखता नहीं कोई अँधेरे में 
तब मैं आईना देखता हूँ......
यूँ ही/तुम्हारा कवि

02.
गिर चुका पर्दा
रंग-मंच का
जा चुके दर्शक
किंतु/शेष है नाटक अभी!

03. तुम्हारी व्यथा की कहानी
तुम्हारी व्यथा की कहानी
मैंने रात भर
नदी को सुनाई,
नदी राह बदल कर
मेरी आँखों में/आ गयी ...
रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 
-सिर्फ तुम्हारा
एक कवि।

04. तुम भी बेचैन हो शायद
हर बार खोलता हूँ द्वार 
कि, हो जाये तुम्हारा दीदार
काले मेघों का जमघट 
हटा नहीं अभी 
तुम भी बेचैन हो शायद 
ओ चाँद....

  • 1093, टाइप-2, आर. के. पुरम, सेक्टर-5, नई दिल्ली-110022/मोबा, 08860297071

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