Sunday, July 26, 2020

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /134                       जुलाई 2020



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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 26.07.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


हरकीरत हीर









01.

तुमने शायद
मेरी नज़्म को 
इसलिए नहीं सराहा
क्योंकि...
 वो हर वक़्त तुम्हें
यह एहसास कराती रही
कि ...
वह तुम्हारे बिना कुछ भी नहीं ...

02.

लो कह दिया
मुआफ़ कर दिया तुम्हें
मग़र तुम ही बताओ
क़त्ल होते रहे जो ख़्वाब ताउम्र
कैसे भुला दे ये नज़्म
इतना आसां भी नहीं 
सीने पर पड़े काले धब्बों को
सुखऱ् रंगों में बदल देना ....

03.

बरसों बाद
ये कौन रख गया है
मेरी झोली में मुहब्बत का फूल
या रब्ब !
बता अब वो वक़्त कहाँ से लाऊँ
रेखाचित्र : (स्व.) पारस दासोत 

जब मुहब्बत 
हलचल मचाया करती थी
देह के ..
इक इक पत्ते में ...

04.

न जाने क्यों
अच्छा लगता है
बारिश की बूंदों का यूँ
खिड़की से आकर
चुपके से चेहरे को छू जाना 
अय हवाओ ..!
आज कुछ तो बात करो ....

  • 18, ईस्ट लेन, सुंदरपुर, हाउस नं. 05, गुवाहाटी-5, असम/मो. 09864171300

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