समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 22 अप्रैल 2018
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
शेर सिंह
01. याद
मन के
गार में फंसी तुम्हारी याद
मचल उठती है जब-तब
काले पन्नों में चमकते
सफेद अक्षरों सी।
02. हिम शिखरों पर
हिम शिखरों पर फैली
सूर्य की गर्मी छिटकी हो जैसे
चांदनी की
नर्मी
03. लड़ाई
लड़ाई तो लड़ाई है
कोई पत्थर से वार करे
छायाचित्र : डॉ. ज्योत्श्ना शर्मा |
कोई शब्द और बुद्धि से
होते हैं घायल
दोनों से।
04. समीर
प्रातः काल की
लाल रश्मियों में लिपटा
शीतल समीर उघाड़ रहा
किसी बात की पांतें गम्भीर।
- नाग मंदिर कालोनी, शमशी, कुल्लू, हिमाचल प्रदेश-175126/मो. 08447037777
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