समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 19 अप्रैल 2018
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
जियाउर रहमान जाफरी
चावल, रोटी
और तरकारी
बीती इसमें
उम्र हमारी
02.
ज्योतिष बन
उसने
क्या-क्या देखा
नहीं दिखी पर
हाथ की रेखा...
03.
पत्नी माँ बेटी पे
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| छायाचित्र : अभिशक्ति गुप्ता |
कविता
रो रही लेकिन
घर की सीता...
04.
उसने कहा
क्या तुम्हारा प्रेम एक छल है
मैंने कहा नहीं
मात्र एक गुरुत्वाकर्षण बल है...
- हाई स्कूल, माफी, नालंदा-803107, बिहार/मो. 09934847941


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