समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 20 अप्रैल 2018
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
नलिन
01.
अभी अभी एक तितली
नागफनी पर उड़ी थी
अभी एक भूली बयार
मेरे जीवन की ओर मुड़ी थी
नागफनी भी मेरे जीवन की भांति
काँटों से घिरी अडिग खड़ी थी
कह गई उससे तितली और मुझसे बयार
कि जीना यही है
02.
सुधियों की डाली जब
प्राण विहग आ बैठा
कोसों की उड़ान अब
कब थकान लगती है
कल बीती बात बात
युग बीती लगती है
03.
रेखाचित्र : शशिभूषण बडोनी |
पसीने का, चुटकीभर हवा
मुट्ठी में बंद दिवस
छटपटा गिरा दूँगा
कल न यह हवा होगी
न ही मुट्ठी में दिन होगा
खड़ा, बूँद बूँद बहता
विश्वास मैं देखूँगा
04.
क्षण क्षण रीता
स्मृतियों का अमृत बीता
पीते रहे दिवस सांत्वना
सूखे ओठों की गीली कोरों से
- 4 ई 6, तलवंडी, कोटा-324005, राजस्थान/ मो. 09413987457
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