Sunday, September 24, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-32

समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  24.09.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल सुश्री ज्योत्स्ना प्रदीप जी की क्षणिका। 


ज्योत्स्ना प्रदीप




01. बदलाव
वो दरख्त/धीरे धीरे
ठूँठ में बदल गया
शायद/उसे भी कोई
छल गया!!

02. सौभाग्य
पलाश!
ये तेरा सौभाग्य
जो योगी सा तू
...वन में है रहता,
नगर में होता
तो जाने...
क्या-क्या सहता!!!

03. दर्द
मन ने जब
तन्हा सफ़र/समेटा था
आँसुओं में भीगे
रात से काले गेसू
हैरान थे...
हर रात साथ उसके जब
दर्द लेटा था।

04.
उस बच्ची की/मासूम समझ
रेखाचित्र : रमेश गौतम 

जाने क्या भाँप गई
किसी पेड़ की पत्ती के
स्पर्श से भी/वो काँप गई!!

05. इश्क़
वो नदी
कितनी मासूम...
प्यारी!
दरिया के इश्क़ में/डूबकर
हो गई खारी!!

  •  मकान-32, गली नं. 09, न्यू गुरुनानक नगर, गुलाब देवी हॉस्पिटल रोड, जालंधर-144013, पंजाब

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