Sunday, September 10, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-29

समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  10.09.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल सुश्री देवी नागरानी जी की क्षणिका। 


देवी नागरानी





01. प्रदर्शन
दीवारों की सिलवटें
दरारों से रिसता पानी
तेज हवा से उड़ते परदे
बाहर बारिश
अंदर भी है पानी
पर, दाग कुछ ऐसे
जो न धो पाये
आँख का पानी...
रेखाचित्र : बी मोहन नेगी 

02. डर
आँखें बंद हैं मेरी
तीरगी से लिपटा हुआ
ये मन,/गहरे, बहुत गहरे
धँसता जा रहा है
पर, 
जब बेबसी में ख़ुद को छोड़ दिया
तो लगा
मैं रौशनी से घिर गयी हूँ
अब मुझे डर किस बात का!

  •  9-डी, कार्नर व्यू सोसाइटी, 15/33 रोड, बांद्रा, मुम्बई-400050/मो. 09987938358

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