Sunday, September 10, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-28

समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  10.09.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल सुश्री  शशि पाधा जी की क्षणिकाएँ। 


शशि पाधा 





01.
आज पत्ते
कुछ पीले पड़ गए 
कल सुर्ख हो जाएँगे 
हवा को पसंद नहीं उनका 
रंग बदलना 
उड़ा ले जाएगी...

02.
पत्ती से गिरी थी ओस
बहुत नाज़ था उसे
हीरा बनने का
क्षण भंगुरता से
उसकी पहचान जो ना थी...

03.
मेरे और तुम्हारे बीच का रिश्ता
रेखाचित्र : रमेश गौतम 

कभी पनपा नहीं 
धूप बारिश हवा आसमान 
सब तो एक से थे 
शायद मिट्टी अलग-अलग थी...

04.
मैं कुम्हार नहीं जो
माटी को मनचाहा रूप दूँ 
मेरे साथ नियति और प्रारब्ध जैसी 
अदृश्य शक्तियाँ भी हैं 
और अधिकतर 
फैसला उनका ही होता है।

  • 10804, Sunset hills Rd, Reston VA, US 20190 /ई मेल : shashipadha@gmail.com

No comments:

Post a Comment