Sunday, September 3, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-27

समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  03.09.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल श्री मुकुट सक्सेना जी की क्षणिकाएँ। 


मुकुट सक्सेना





01.
निर्जन में नील झील
झील में उतरा चाँद
चाँद-/बिना पदचाप
हिलोर ही हिलोर
और वहाँ कोई नहीं।

02.
अन्तस में
कोई एक दर्प/बिखरा 
किर्च-किर्च/बेआवाज़
और वहाँ कोई नहीं।

03.
बाँस का वन
पवन चक्राकार
चतुर्दिक आग ही आग
आग की लपटों में/खरगोश
और वहाँ कोई नहीं।

04.
रेत पर 
बनते-मिटते चिन्ह
मुट्ठी से फिसलता
काल
और वहाँ कोई नहीं।
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05.
चिनार और वर्फ
वर्फ और चिनार
बीच में बन्दूक
और वहाँ कोई नहीं।

06.
पाँडव और कौरव
शकुनि 
और चौसर की बिसात
अकेली द्रोपदी
और वहाँ कोई नहीं।


  •  5-ग 17, जवाहर नगर, जयपुर-302004, राजस्थान/मो. 09828089417

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