समकालीन क्षणिका खण्ड-01 अप्रैल 2016
रविवार : 18.12.2016
सतीश चन्द्र शर्मा ‘सुधांशु’
पीपल के/हरे-भरे पत्ते
पीले पड़ने लगे
अचानक!
लगता है/होने वाला है
किसी का आगमन!
जरा सा दबाव पड़ा
कि सूखे पत्तों से
चरमरा उठे।
सहनशक्ति कोई
कैक्टस से
सीखे!
समय
किसी की पहचान
इस तरह खोता है
दसवीं में पढ़ रहा
दादू! अन्तर्देशीय पत्र
क्या होता है?
सूरजमुखी का
रुख सदैव
सूरज के मुख की ओर
रहता है
शुक्र है/कहीं तो
वफादारी शेष है!
- ब्रह्मपुरी, पिन्दारा रोड, बिसौली-243720, जिला बदायूँ, उ.प्र./मोबा. 9451644006
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