Sunday, November 24, 2024

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-04/360                         नवंबर 2024

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 24.11.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  



महेन्द्र नारायण




01.


यथार्थ को

जेब में

रखकर चलने वाले

अक्सर

खर्च हो जातें हैं

सपनों में...।


02.

रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 


स्वयं को ढूँढ़ते-ढूँढ़ते

सचमुच

आज इंसान

भीड़ में खो गया है

उसका जीवन एक

मृगमरीचिका-सा हो गया है।

  • श्री चन्दनलाल नेशनल कॉलेज, कांधला, जिला शामली-247775, उ.प्र./मो. 09412637489 

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