Sunday, November 10, 2024

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-04/358                         नवंबर 2024

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 10.11.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!   


सतीश राठी




01.


बहलाव

सिगरेट के धुएँ-सा

छल्ले पर छल्ले बन

विलीन होता चला जाता है

हवा में


02.


झरने की आत्मीयता

चित्र  : प्रीति अग्रवाल 

इन दिनों हो गई है कम

नहीं मिलता अब वह

गर्मजोशी से गले


03.


आसमान

जब हो जाता है बादल

खो बैठता है

अपना वजूद

  • आर-451, महालक्ष्मी नगर, इंदौर-452010, म.प्र./मो. 09425067204

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