समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03/355 अक्टूबर 2024
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02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 20.10.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
ज्योत्स्ना प्रदीप
01.
जिस
प्रेम में
अविश्वास है,
अधिकार है..
कैसे कह पाते हो तुम
‘मुझे भी प्यार है!!’
02.
जानती हूँ-
मैं तुम्हें
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छायाचित्र : उमेश महादोषी |
किन्तु डरती हूँ
पास आने से
क्योंकि
मैं तेरे दिल में नहीं
दिमाग़ में बन्द हूँ।
- देहरादून, उ.खण्ड/ईमेल : jyotsanapardeep@gmail.com /मो. 06284048117
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