समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /136 अगस्त 2020
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रविवार : 09.08.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
ज्योत्स्ना शर्मा
लो बताओ !
ये कैसा...
फ़रमान सुना दिया
जन्नत की चाहत में
जन्नत को...
जहन्नुम बना दिया!
02.
बड़ी चाहत से
जिसे...
आँखों में सजाया
उसी ज़ालिम ने
गुलाबी दामन पे
दाग क्यों लगाया?
03.
मन से छुआ
अहसास से जाना
यूँ मैंने पहचाना
![]() |
रेखाचित्र : अनुभूति गुप्ता |
मिलोगे कभी
इसी आस जीकर
मुझको मिट जाना।
04.
तनहा थी ज़िंदगी...
गुमथे उजाले
मैं भी बैठी रही
तेरी...
चाहत के कंदील बाले!
- एच-604, प्रमुख हिल्स, छरवाडा रोड, वापी, जिला-वलसाड-396191, गुजरात/मो. 09824321053
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