Sunday, August 16, 2020

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /137                                  अगस्त  2020

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 16.08.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


बालकृष्ण गुप्ता ‘गुरु’









01. घृणा 

माँगते मक्खन 
मिल रहा 
अश्वस्थामा के माथे का घाव 
बेभाव 
टूट-टूट बिखर रहा 
देश संग गाँव

02. सकारात्मक 

गमले में लगे 
वट वृक्ष का इतना विस्तार 
मूल से निकलती नदियाँ 
टॉप पर पर्वत का फैलाव 
चित्र : प्रीति अग्रवाल 
जटाओं पर झूलते संस्कार, 
सत्य, सुख, समृद्धि 
आचार-विचार!

03. सैनिक 

दूध उबला 
खून खौला 
सीमा पार 
माँ का कर्ज चुकाने।

  • डॉ. बख्शी मार्ग, खैरागढ़-491881, जिला राजनांदगांव, छ.गढ़/मो. 09424111454

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