समकालीन क्षणिका खण्ड-01 अप्रैल 2016
क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित कन्हैयालाल अग्रवाल ‘आदाब’ जी की क्षणिकाएँ।
कन्हैयालाल अग्रवाल ‘आदाब’
01.
चाँदनी रात में
खिड़की से आ रही है
रातरानी की महक
पर तुम आना मत
तुम्हारे होने का अहसास
तुम्हारे होने से
ज्यादा मधुर है।
02.
इस शब्द का
अर्थ ही बदल दिया है
माफ करना गाँधी
मैंने तुम्हें भी
महात्मा कहना छोड़ दिया है!
03.
सरकार ने/खोल तो दी है-
अपनी थैली
देखते हैं/कब साफ होती है
राम, तेरी गंगा मैली!
- बंगला नं. 89, ग्वालियर रोड, नौलक्खा, आगरा-282001/मोबा. 09411652530


No comments:
Post a Comment