Saturday, February 4, 2017

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-40

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016



रविवार  :  .05.02.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’  के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित मंजूषा दोषी ‘मन’ जी की क्षणिकाएँ।  



मंजूषा दोषी ‘मन’





01.
स्वप्न,
पलकों के भीतर
किरचें बन चुभते
इन स्वप्नों में/हम हैं फंसते।

02.
कितने पत्ते शाख से
जुदा हो जाएंगे

जब झूमके 
चलती है हवा
तो कहाँ सोचती है!

03.
दिल के भीतर
बस थी एक/चारदीवारी
रेखाचित्र : राजेन्द्र परदेसी
दरवाजा अगर होता
तो आती दस्तक!

04.
मन,
ऊबा-ऊबा है
जाने क्या है जो
मन में चुभा है।

05.
धड़कन,
थमी-थमी सी है
बार-बार लगता है
जैसे कुछ कमी सी है।


  • अम्बुजा सीमेंट फाउ., अम्बुजा कॉलोनी, ग्राम-रवान, जिला बलौदा बाजार-493331,छ.गढ़/मो. 09826812299

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