Sunday, February 12, 2017

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-41

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016



रविवार  :  12.02.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’  के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित डॉ.शैलेष गुप्त ‘वीर’ की क्षणिकाएँ। 



शैलेष गुप्त ‘वीर’ 




01.
धूप/धरती से
मिलने चली,
आज/कोहरे की
एक न चली!

02.
मैंने जी भर
निहारा सौन्दर्य
पाकर स्नेहिल निमन्त्रण
राख हो गये प्रणय-प्रण!

03.
हवा बहकी
निशा चहकी
महका कोना-कोना,
बेचैन करे
तितलियों का रोना!

04.
रेखाचित्र : रमेश गौतम 

वैश्विक शक्तियाँ
तिरंगे तले आयेंगी,
मेहनत रंग लायेगी!

05.
बेटों की मुस्कान के लिए
माँ टुकडों में बँट गयी,
ज़िन्दगी कट गयी!

  • 24/18, राधा नगर, फतेहपुर (उ.प्र.)-212601/मोबा. 09839942005

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