समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03/314 जनवरी 2024
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 07.01.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
अशोक आनन
01.
पेड़!
तुझे जिन पत्तों पर
इतना अभिमान था;
पतझड़ में-
वही तेरा साथ छोड़कर
हवा के साथ हो लिए।
02.
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छायाचित्र : उमेश महादोषी |
तूने
जिन पक्षियों को
अपने पर नीड़ बनाने की
इजाज़त दे, पनाह दी;
पतझड़ में-
उन्हीं ने
तुझे अकेला छोड़-
अपना पल्ला झाड़ लिया।
- 11/82, जूना बाज़ार, मक्सी, जिला शाजापुर-465106, म.प्र.
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