समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03/285 जून 2023
क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 18.06.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 18.06.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
शैलेष गुप्त ‘वीर’
01.
सच और झूठ ने
एक ही थाली में
खाना खाया,
अन्याय मुस्कराया!
02.
रामधनी
धनवान हो गया,
तुलसीदास से
बड़ा विद्वान हो गया!
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रेखाचित्र : बी मोहन नेगी (स्मृतिशेष) |
सच सो गया
और
झूठ
बाइज्ज़त
बरी हो गया!
- 24/18, राधा नगर, फतेहपुर-212601, उ.प्र./मो. 09839942005
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