समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03/280 मई 2023
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 14.05.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 14.05.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
उमेश महादोषी
01.
कोई आँखों में देखता है सागर
कोई देखता है झील
तो क्या
सागर और झील को
मैं तुम्हारा पर्याय समझूँ!
उस चिड़िया की आँखों ने
मुझसे पूछा है।
02.
वो,
जो पहाड़ से झरना गिरता है
वो
जो बगिया के गुलाब पर
गहरे रंग का फूल खिलता है
वो
जो झील-किनारे
सुवासित पवन विचरता है
तुम्हारे लिए, देखो
मेरा मन क्या-क्या करता है!
03.
सरोवर में नहाता है
![]() |
छायाचित्र : अभिशक्ति गुप्ता |
पंख फड़फड़ाता है
डूबकर गाता है
ये पंछी उड़ जाता है
बैठकर/अंत में
शीश पर पहाड़ के
मुस्कुराता है!
- 121, इंदिरापुरम, निकट बीडीए कॉलोनी, बदायूं रोड, बरेली-243001, उ.प्र./मो. 09458929004
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