समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /279 मई 2023
क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 07.05.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 07.05.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
वी. एन. सिंह
01. अँधेरा
ऐसा क्यों होता है
अँधेरा
सूर्य के अस्त होने के साथ
अचानक बड़ा हो जाता है।
02. सूनापन
इस सूनेपन में
न जाने कितने चिराग रोशन हो गए
मेरी तन्हाई में
अक्सर आते हो तुम
गुदगुदाकर चले जाते हो।
03. ख़ामोश कमरा
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चित्र : प्रीति अग्रवाल |
ख़ामोश कमरा
बोलता नहीं
बार-बार
इधर-उधर देखता हूँ
लगता है कहीं अपनी जिन्दगी के
पन्नों को दोहरा रहा हूँ।
- 111/98-फ्लैट 22, अशोक नगर, कानपुर-208012, उ.प्र./मोबा. 09935308449
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