समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /250 अक्टूबर 2022
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 16.10.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 16.10.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
प्रगति गुप्ता
01.
रात भर कोई
मेरे साथ-साथ जागता रहा
कुछ मैं उसमें रहा
कुछ वो मुझमें रहा...
02.
तेरे जाते ही
उतरती-चढ़ती
साँसों का
एक अजब-सा
सिलसिला है
तू क्या बताता है-
अपना हाल
मेरा हाल भी तो
तेरे ही जैसा है...
03.
उन रिश्तो का क्या करिये
जो छूटकर भी ठहर जायें
पलकों की कोरों में कहीं
और दुखते रहें ता-उम्र
![]() |
रेखाचित्र : मॉर्टिन जॉन |
04.
मेरी कलम से
तेरे ही ख्याल
उतरते क्यों हैं-
तू पास नहीं है मेरे
फिर ये तेरे
एहसासों से-
बनते क्यों हैं...
- 58, सरदार क्लब स्कीम, जोधपुर-342001, राज./मो. 07425834878
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