समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /244 सितम्बर 2022
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 04.09.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 04.09.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
नरेश कुमार उदास
01.
नाक का कट जाना
बेशर्मी की हद तक
गिर जाना
माना जाता है
या फिर यह
खून के आँसू रुलाता है
आदमी मर जाना चाहता है
02.
उसने कहा-
मेरी कविताओं में है
जनमानस की पीड़ा
सारे जग के आँसू
लेकिन मैं खुश हूँ
मुझे कोई गम नहीं।
03.
आज का काम
कल पर मत छोड़ो
कल का ना
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रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया |
काल है
कल क्या होगा
यह बड़ा सवाल है
04.
आँगन में
दीवार
खिंच गई है
मानो मन में
कोई लकीर
खिंच गई हो।
- अकाश-कविता निवास, लक्ष्मीपुरम, सै. बी-1, पो. बनतलाब, जि. जम्मू-181123 (ज-क)/मो. 09419768718
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