Sunday, September 25, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /247                      सितम्बर  2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 25.09.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


ज्योत्स्ना शर्मा 




01.

लो जी, चलो

बहुत दिनों के बाद

हमारी मुलाकात हुई

मैंने उनसे

आपके घर भी

जाने को कहा

जब मेरी

खुशियों से बात हुई।


02.


लोग बेवजह

इनसे डरते हैं

घबराते हैं,

इन अँधेरों में ही तो

चाँद ही नहीं

रेखाचित्र : मॉर्टिन जॉन 
तारे, जुगनू, दिए भी

अच्छे से नज़र आते हैं।


03.

वक्त आएगा

जाग जाएँगे कभी

इस बस्ती के भाग

देखिए अभी

डसते विकास को

षडयंत्रों के नाग।

  • एच-604, प्रमुख हिल्स, छरवाडा रोड, वापी, जिला-वलसाड-396191, गुजरात/मो. 09824321053 

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