समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /148 नवम्बर 2020
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
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रविवार : 01.11.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
अमरेन्द्र सुमन
01.
झूठ के गुलदस्ते में
सच के फूलों को देखना
प्रतिकार नहीं
फिर भी क्यूँ
यह हर एक को स्वीकार्य नहीं?
02.
चीन
तलाश रहा
पचास के दशक से
अब तक सिर्फ अपने
स्वार्थ और वर्चस्व की जमीन
सिर्फ झूठ, धोखा
और फरेब में ही प्रवीण।
03. माँ -एक
सुकून भरी नींद
हाथ का पंखा है माँ
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चित्र : प्रीति अग्रवाल |
और चूड़ी-शंखा है माँ
04. माँ -दो
नैनों की प्रतिष्ठा
प्रश्रय प्रतिज्ञा है माँ
द्रौपदी-उत्तरा
सविनय अवज्ञा है माँ
- ’’मणि विला’’ प्राईमरी स्कूल के पीछे, केवटपाड़ा (मोरटंगा रोड) दुमका-814101, झारखण्ड/मो. 09431779546
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