Sunday, November 12, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-46

समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  12.11.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल सुश्री सीमा स्मृति जी की क्षणिका।


सीमा स्मृति




01.

कुदरत लिखती रही
हर दिन
जिन्दगी की किताब के पन्ने
हम किताबों में 
खोजते रहे ज़िन्दगी।

02.

मत किया करो
वक़्त से कोई सवाल
उत्तर के इंतज़ार में/अक्सर 
जिन्दगी की लय बिगड़ जाती है।

03.

एक सत्य 
बेल से लिपटे सर्प-सा
मन की देहरी पे
सरसराने लगा
लम्बी खामोशी में
रेखाचित्र : डॉ. सुरेंद्र वर्मा 
गूँजती रही फुँकार
कुछ सर्प-
बिल नहीं खोजा करते।

04.

जीया दर्द
खोजती रही खिड़कियाँ
क्यों रही अनजान
दरवाजे की अहमियत से!
  • जी -11 विवेक अपार्टमेंट श्रेष्ठ  विहार, दिल्ली-110092/मो. 09818232000

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