Sunday, December 10, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                     ब्लॉग अंक-03/310                  नवम्बर  2023 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 10.12.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 



मिथिलेश दीक्षित




01.


मैं नहीं

नीरों भरी बदली,

मचलती धार में भी

मैं नहीं मचली,

समन्दर को समेटा

स्वयं सीपी में,

बनी जो बूँद,

उसने ज़िन्दगी की

धार बदली।


02.


पत्ते-पत्ते बोल रहे 

भगवान से

यह दर्शन

विरले ही पाते

रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 
ज्ञान से!


03. 


चेतना जगाती

नवल सृजन,

यदि होता

उसमें स्पंदन!


  • 91,सी, संजयपुरम लखनऊ-226016 (उ.प्र.) 

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