समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /267 फरवरी 2023
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 12.02.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 12.02.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
01.
मस्तक पर धर पाँव
चढ़ते गए
स्वार्थ की सीढ़ियाँ
गुज़री कई तुम्हारी पीढ़ियाँ
लिप्सा की चूकी दृष्टि तो
धम्म से गिरे।
02.
जिसने पाया, वह भरमाया
जिसने खोया, वह तो रोया
पाना-खोना, यही है जीवन
आँसू से होता है तर्पण
हम रोते, रोता है दर्पण।
03.
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चित्र : उमेश महादोषी |
पलकों पे लरजते मोती
गिरने नहीं देना,
धूल में मिलेंगे
किसके काम आएँगे!
लाओ मैं अँजुरी में भर लूँगा
आचमन कर लूँगा
इससे बड़ा सुधा-पान नहीं होगा
इस जनम के वास्ते!
- 1704-बी, जैन नगर, गली नं. 4/10, कश्मीरी ब्लॉक, रोहिणी सैक्टर-38, कराला, दिल्ली-110081/मो. 09313727493
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