समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /255 नवम्बर 2022
क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 20.11.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 20.11.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
केशव शरण
01.
मेज या खिड़की पर
बरगद तभी होगा
जब बोनसाई होगा
यह बोनसाई
तीन पंक्तियों और सत्रह अक्षरों में
एक बड़ी कविता है
02.
अभिमान में तिरस्कार है
तिरस्कार में अकेलापन
अकेलेपन में अवसाद
लेकिन कब रहता है याद
और अभिमान हो ही जाता है
जैसे प्यार!
03. दूरी मिट गयी
मैं असंख्य पग चला
![]() |
रेखाचित्र : (स्व.) बी.मोहन नेगी |
तुम्हारी ओर
मगर कुछ नहीं हुआ
तुमने एक पग बढ़ाया
मेरी ओर
और दूरी
मिट गयी
- एस 2/564 सिकरौल वाराणसी-221002/मो. 09415295137
No comments:
Post a Comment