समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /226 मई 2022
क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 01.05.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 01.05.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
पुष्पा मेहरा
01.
मैं अपनों को साथ लेकर चलने के लिए
रुकी रही
मुड़कर देखा तो काफिला
आँखों से ओझल हो चुका था
तो क्या ये
कछुआ और खरगोश का ही पर्याय था!!
02.
हर मौन
हममें, तुममें, सबमें
शब्द नहीं-
एक अर्थ तलाशता रहा
पर निगोड़ी पलकें भी तो
उठ के ही ना दीं!!
03.
पिता एक रथ, एक चौपाल,
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रेखाचित्र : बी.मोहन नेगी |
दीवार और छत- वट वृक्ष
उनके बिना समय चक्र में आबद्ध
सूना, उदास अपनी जगह पर
स्थिर और पूर्ण तटस्थ उनका रह जाना
अनपेक्षित तो नहीं लगता।
- बी-201, सूरजमल विहार, दिल्ली-92/फ़ोन 011-22166598
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