समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /142 सितम्बर 2020
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
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रविवार : 20.09.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
भावना कुँअर
01. दर्द-2
मिलके साथ
हमने थे सजाए
प्यार की रोशनी की
हजारों दीए
समेटतें हैं अब
किरचों को दर्द की।
02. छाया
पाने को छाया
हम जा बैठे,
पेड़ के नीचे
डालियों ने
धर-दबोचा हमें।
03. शिकन
मेरे चेहरे की शिकन
मचा देती थी
एक तूफान
उनके दिल में
पर आज
कैसा बदला ये मौसम
जो अब शिकन बन गई
उनके दिल बहलाने की वजह।
- सिडनी, आस्ट्रेलिया/ ईमेल : bhawnak2002@gmail.com
- भारत में : द्वारा श्री सी.बी.शर्मा, आदर्श कॉलोनी, एस.डी.डिग्री कॉलिज के सामने, मुज़फ़्फ़रनगर(उ.प्र.)
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