समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /127 जून 2020
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 07.06.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
नारायण सिंह निर्दोष

01.
इस शहर में
हम/जैसे
गमलों में उगे हैं;
हालात के हाथों
फुनगियों से चुगे हैं।
02.
आज कुछ ऐसा करें
जिसमें
कहने सुनने को कुछ भी न हो
आज सिर्फ़
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रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया |
कातने-बुनने को कुछ भी न हो।
03. अर्थ व्यवस्था
बैंक एटीम्स से
संतरी नदारद
कुत्ते
अपनी कमर सीधी कर रहे हैं।
- सी-21, लैह (LEIAH) अपार्टमेन्ट्स, वसुन्धरा एन्क्लेव, दिल्ली-110096/मो.: 09650289030
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