Sunday, September 2, 2018

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 41                   सितम्बर 2018

रविवार : 02.09.2018

‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


सुनीता काम्बोज






01.

तपती रेत पर 
रुकते नहीं कदम
अगर मुझे रोकना है 
तुम बनों शीतल छाया ।

02.

सागर के दर्पण में
देख अपना विस्तार
नभ मुस्कुराया
रात्रि में केवल
चाँद को पाया
भोर में फिर खुद को निहार
हुआ बेकरार
यह कैसा छलावा
फिर भी इस मोह से
निकल न पाया ।

03.

कुल पर कालिख पोतकर
तुम श्यामपट मत बनाओ?
और वासनाओं के चॉक से
मत लिखो 
फिर कोई कहानी

04.

बारीक दरारों को
नजरअंदाज करने से
बन जाती है वह खाई
जिसे भरना
मुश्किल ही नहीं
नामुमकिन होता है।
छायाचित्र : अभिशक्ति गुप्ता 


05.

अनपढ़ माँ
बाँच देती है
मेरी आँखों का
हर आखर
मैं उसकी उलझनें
पढ़ नहीं पाती
फिर भी 
पढ़ी लिखी कहलाती।

  • मकान नंबर-120, टाइप-3, जिला संगरूर, पंजाब / मो. 09464266415

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