Sunday, June 17, 2018

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 30                   जून  2018


रविवार  :  17.06.2018 


‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा। 
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 



रघुनन्दन चिले 




01. तासीर 

सत्ता की तासीर ही
कुछ ऐसी है
दिल तो मिलते नहीं 
हाथ भी रुक जाते हैं।

02. नियति 

कागज़ की कश्तियाँ 
साहिल से 
टकरा नहीं सकतीं 
गलकर, डूबना और 
मिट जाना ही
रेखाचित्र :  विज्ञान व्रत 
उनका नसीब है। 

03. यादें - एक 

यादों से इस कदर
मोहब्बत न कर
बेइन्तहा कोई भी शै 
माकूल नहीं होती।

04. यादें - दो

यादों को सहेजकर रखिए 
यादें, जीवन पथ पर
जुगनुओं सा प्रकाश देतीं हैं, 

उल्लास भर देतीं हैं।

05. भाई-चारा 

भूख और फाँकों का
भाई चारा है
मुफलिसों का
मुट्ठी भर में 
गुज़ारा है।

  • 232,मागंज वार्ड नंरू 1, दमोह-470 661, म. प्र./मो. 09425096088

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