Sunday, June 3, 2018

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 28                   जून  2018


रविवार  :  03.06.2018 


‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा। 
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


जयप्रकाश श्रीवास्तव




01. बदलाव

परिन्दे
अब नहीं उड़ान भरते
खुले आकाश में
बेरहम हवा भी
करने लगी है
उनका शिकार

02. कविता का समय

समय के पन्ने पर
नहीं लिखी जाती
कोई कविता
कविता के दायरे से
बहुत आगे
निकल गया है समय

03. युद्ध

संधियाँ 
होती नहीं हैं
निरंतर जीवन में
लड़ा जा रहा है
एक युद्ध

04. संयोग

नदी के चंगुल से

छायाचित्र  : उमेश महादोषी 
छूट आई नाव
तटों पर बैठ
गाती है
लहरों का गीत

05. झूठा सच

बगुले की चोंच
डूबती नहीं
पोखर के पानी में
देखकर मछलियाँ
हो गई हैं
उदास

  • आई.सी. 5, सैनिक सोसायटी, शक्तिनगर, जबलपुर-482001, म.प्र.

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