Sunday, June 18, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-06

समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  18.06.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल डॉ. बलराम अग्रवाल  जी की क्षणिका।


बलराम अग्रवाल



बिटिया : कुछ क्षणिकााएँ

01.
बिटिया ने
न ‘अ’ पढ़ा न ‘आ’
न ‘क’ ‘ख’ ‘ग’
उसने कुछ नहीं पढ़ा
खदान से निकले कोयले
या/सीमेंट, रेत, बदरपुर के सिवा।

02.
बिटिया ने
‘अ’ पढ़ा
‘आ’ पढ़ा और
‘क’ ‘ख’ ‘ग’ भी
उसने कुछ नहीं पढ़ा
स्टेथोस्कोप, पिल्स, नाइफ
और नुकीली बहसों के सिवा।

03.
बिटिया ने/सब कुछ पढ़ा-
रेखाचित्र  : सुरेंद्र  वर्मा 

खदान, खेत, बिल्डिंग,
ऑपरेशन, बहसें, फील्डिंग
और घर-गृहस्थ फीडिंग

बिटिया/बिटिया न रही
उदाहरण बन गयी।

04.
शेर से, चीते से
चोर से, डाकू से
या/दस कोस दूर
शहर में ऊँघते कोतवाल से
दद्दू किसी से नहीं डरते

वे डरते हैं
आँगन में दिनों

05.
हिलती है/न डुलती है
न हटती-टलती है

अम्मा के कलेजे पर
बिटिया
टिक गयी है पत्थर-सी।

  • एम-70, निकट जैन मन्दिर, नवीन शाहदरा (उल्धनपुर), दिल्ली-110032/मो. 08826499115

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