Sunday, June 4, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-03

 समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  04.06.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल श्री श्यामसुंदर निगम जी की क्षणिका।


श्यामसुंदर निगम




डॉ. मृत्युन्जय!
अब मत हो ज्यादा परेशान 
तुम और तुम्हारी पैथी 
बिठा चुके सारे मीजान 
पूरे हो गए इम्तिहान 
मेरे और तुम्हारे
नतीजा तुम्हारी डबडबायी आँखों में-
...पढ़ पा रहा हूँ मैं 
नाप सकता हूँ मिमी- सेमी 3डी बेकली 
तुम चाहो तो भी नहीं बन सकते नचिकेता 
मैं भी नहीं बन पाऊँगा ययाति
तुम/संभालो अपनी दूकान 
मैं/समेट रहा हूँ अपना सामान।
  • 1415, रतनलाल नगर, कानपुर-208022/मो. 09415517469

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