Sunday, March 2, 2025

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-04/374                          मार्च 2025


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01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 02.03.2025
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 



 पूनम सिंह ‘भक्ति’





01.

माँ मेरी कहती थी

क्रोध मत करना

क्रोध स्वयं के लिए और

इंसानियात के लिए घातक है

एक दिन मैंने देखा माँ को 

क्रोध करते हुए ईश्वर पर

जब बच्चे भूख से बिलखते

हुए थाली पीट रहे रहे थे।


02.

करीने से लिपटी 

बेल की लताएँ 

शाखों पर समर्पण होना है

छायाचित्र : उमेश महादोषी 
जहाँ शब्द शून्य

पूर्णता का अहसास है


03.

देह के नीचे रुकी छाया

भ्रमित कर रही है

अपने आकार के बड़े होने का

ये भी साथ कहाँ देती हैं 

साँझ ढलने पर

  • ए- 1/69, सेक्टर - 3/रोहिणी, दिल्ली-110085/मो. 09810842105

Sunday, February 23, 2025

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-04/373                          फरवरी 2025


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रविवार  : 23.02.2025
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


सुनील गज्जाणी





01.


पीढ़ी-दर-पीढ़ी

सौंपती अपनी विरासत

निसंकोच

सृष्टि के जन्म से

विराम तक

अनथक, अनंत

तुम

अपने जन्म से ही

शाश्वत हो, नश्वर हो

मृत्यु !


02.


मृत्यु तुम

स्वयं का वरण कब करोगी

पता है तुम्हें?

शायद नहीं होगा

संभवतः तब

जब कोई जन्म ही

नहीं होगा

तब तुम्हारा

औचित्य कैसा!


03.


कितनी चतुराई 

छायाचित्र : उमेश महादोषी 
कितनी ख़ामोशी लिए आती हो

और, दबे पाँव लौटती  हो

जब तुम

अपना चाहा काम कर

भूचाल-सा ला देती हो

तुम मृत्यु!

  • सुथारों की बड़ी गुवाड़, बीकानेर-334005, राजस्थान/मो. 09950215557

Sunday, February 16, 2025

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-04/372                          फरवरी 2025


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रविवार  : 16.02.2025
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

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अनीता सैनी



01.

हवा के साथ

सरहद लाँघ जाते हैं बादल

अब अगर कुछ दिनों में 

ये नहीं लौटे

तुम देखना!

जेष्ठ कहर बरपाएगा 

बालू छाँव तकेगी 

पौधे अंबर को

और मेरे दिन-रात तपेंगे 

तुम्हारे इंतज़ार में।


02.

निशीथ काल में

धरती उठी  

कुछ अंबर झुका 

मौन में झरता समर्पण

चातक पक्षी ने गटका 

फूल बरसाती हवा  

पशु-पक्षियों ने

ध्यानमग्न हो सुना 

तब इंसान गहरी नींद में था।


03.

छायाचित्र : उमेश महादोषी 

कभी-कभी

कोई वज़ह नहीं होती रूठने की 

फिर भी महीनों तक बातें नहीं होती

रास्ते भी जाने-पहचाने होते हैं

पीर पैरों की गहरी रही होगी कि 

वे उधर से गुजरते नहीं हैं।

  • दूसरी फ्लोर, बी-118, करधनी स्कीम, कलवार रोड, झोटवारा, जयपुर-302012, राज./मो. 06350497759 

Sunday, February 9, 2025

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-04/375                          मार्च 2025


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रविवार  : 09.03.2025
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भगवती प्रसाद द्विवेदी




01. होड़

जाल बिछा

दाने छिड़क

बहेलिया हो गया मुस्तैद

फिर तो लग गई

कबूतरों में होड़

हो जाएँ क़ैद!

छायाचित्र :  उमेश महादोषी 


02. गुरुदक्षिणा 

आज परीक्षा हाल में

एकलव्य ने गुरु द्रोण को

अँगूठा दिखाया है 

उन्हें सूर्पणखा बनाने की मंशा से

धारदार चाकू लेकर आया है।


  • सर्जना, बिस्कुट फैक्ट्री रोड, मगध आईटीआई के निकट, नासरीगंज, दानापुर, पटना-801503, बिहार/मो. 09304693031

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-04/371                          फरवरी 2025


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रविवार  : 09.02.2025
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

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अलका गुप्ता





01.

मेहनत के खेत में 

खरपतवार तो उगती ही हैं, 

उन्हें उखाड़ फेंको तो

अच्छी फसल अवश्यम्भावी है। 


02.

दुनिया देखने निकले थे

धुएँ का गुब्बार मिला। 

मिले तो रंग बहुतेरे पर

स्वार्थ का रंग 

चटक लाल मिला 


03.

छायाचित्र : उमेश महादोषी 

छिप नहीं सकते तुम 

अपने ही मन से 

और मन के अंतर्द्वंद्व से 

किए गये पुण्य से 

या फिर पाखंड से

कुछ भी हो, 

तुम छिप नहीं सकते।


  • द्वारा श्री प्रदीप गुप्ता,  सी-24, थर्ड फ्लोर, इन्द्रा एन्क्लेव (निकट इग्नू), नेब सराय, नई दिल्ली-110068/

/मो. 08920425146 

Sunday, February 2, 2025

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-04/370                          फरवरी 2025


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रविवार  : 02.02.2025
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अर्चना अनुपम




01.

इंसां खरबूजे जैसा नहीं 

गिरगिट जैसा भी तो नहीं, 

हाँ, कहना यह अतिश्योक्ति नहीं 

इंसानुमा एक ही प्रजाति के पौधे में 

कई-कई रंग सिमट गये!


02.

छायाचित्र : उमेश महादोषी 
पर्यावरण बचाओ का शोर 

उछाल मार रहा,

या, मेंढक की टर्र-टर्र में 

मेघों का रुदन?


03.

किसी कोने की सिसकी

किसी ज़र्रे की,

किसी तिनके की,

किसी कतरे की आवाज़ 

तड़की-चमकी है बिजली बन,

नकार दिया दोयम दर्जे का अस्तित्व!

  • फ्लैट नंबर 411, बजाज स्कॉय हाइट्स, मठपुरेना, रायपुर-492013, छतीसगढ़/मो. 09131713906

Sunday, January 26, 2025

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-04/369                          जनवरी 2025

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रविवार  : 26.01.2025
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

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राजेश ललित शर्मा 





01. डूबती नाव

नाव में 

छेद ही छेद थे

मैं न देख सका

अब नाव में 

पानी भरा है 

मझधार में है 

हिचकोले खाती 

नाव डूबने को है


02. देर ही देर 

ज़रा देर हो गई है?

अंधेर भी हो गया है।

और भी अंधेर 

होना बाकी है!

भगवान अभी घर पर

नहीं हैं!

भगवान अभी छुट्टी

पर हैं!

आयेंगे तो पता चलेगा?

देर हो गई है

या अंधेर अभी जारी रहेगा।


03. अंजुली भर धूप

आई थी

रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 

मेरे जीवन

आँगन में

अँजुली भर धूप

फिर फिसल गई

मेरी उम्र की तरह

शाम ढली

दीप जला

न बाती जली

रात हुई

निपट अँधेरा

ऐसा डूबा सूरज

न फिर हुआ सवेरा।

  • बी-9/ए, डीडीए फ़्लैट, निकट होली चाईल्ड स्कूल, टैगोर गार्डन विस्तार, नई दिल्ली-27/मो. 09560604484